"क्या कुछ नही किया हमने उसके लिए।"
"वो हमारा फ़र्ज़ था जी।"
"तो क्या उसका कोई फ़र्ज़ नही ? क्या इसी दिन के लिए उसे पढ़ा लिखा कर कामयाब किया था ......?कि एक दिन वो हमें ही
बोझ समझने लगेगा।" "वो जल्दी ही हमें ले जायेगा।आप दुःखी ना हो।" मालती ने पति से ज्यादा खुद को तसल्ली दी।
बोझ समझने लगेगा।" "वो जल्दी ही हमें ले जायेगा।आप दुःखी ना हो।" मालती ने पति से ज्यादा खुद को तसल्ली दी।
"क्या तुम इस आश्रम में खुश हो तुम्हे दुःख नही मालती ?" "हाँ है। पर इस बात का।कि काश.......! इस बेटे की चाह में
उस बेटी को गर्भ में क़त्ल करने की बेवकूफी न की होती। ये हमारे कर्मो का फल है जी"
उस बेटी को गर्भ में क़त्ल करने की बेवकूफी न की होती। ये हमारे कर्मो का फल है जी"