Sunday, March 20, 2016

इज़्ज़त की रोटी














"एक फिरकी के दस रूपये ज्यादा है आठ मिलेंगे।"

"आठ तो कम है।"

"अरे....रख लो अम्मा कहाँ ले जाओगी इतना पैसा।"

"बेटी पेट भर जाये वो ही बहुत है।"

"आप के बच्चे नही है ?"

"राम जी बनाये रखे दो बेटे है।शहर में रहते है।"

"फिर खिलौने क्यों बेचती हो,बेटे पैसे नही भेजते क्या ?"

"अकेले पेट के लिए क्यों बच्चों के सामनेे हाथ फैलाऊँ। महंगाई में उनका ही गुजारा मुश्किल से होता होगा। 

वैसे खिलौने बेचकर मेरा समय भी बीत जाता है।और इज़्ज़त की दो रोटी भी मिल जाती है।" दो आंसू चेहरे की सलवटों में समा गए।





मुफ़्त का खाना
















(दोपहर का समय सरकारी स्कूल)
"भैया जी हमारा फ़ोटो खींच कर क्या करोगें ?"
"उस पर कहानी लिखूँगा।"
"सच ! मुझे कहानी में मास्टरनी बनाना।"
लड़की ने चहकते हुए कहा।
"और मुझे डॉक्टर ।" लड़के ने कैमरे को ताड़ते 
हुए कहा। 
"ठीक है।"
"पर हमें पता कैसे चलेगा तुमने हमारी कहानी लिखी है।"
"तुम पढ़ लेना ।"
"हमें तो पढ़ना ही नही आता।"
"स्कूल में पढना नही सिखाते ?"
"पता नही।"
"तो तुम स्कूल आते क्यों हो ?"
"यहाँ दोपहर का खाना मुफ़्त मिलता है। इसलिए आते है। वरना हम तो चाय की दुकान पर काम करते है।"
लड़की ने सब्ज़ी में सनी उंगलियां चाटते हुए कहा।

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ताज़े फूल

"एकदम ताज़े फूल है साहब "
"नही चाहिए।"
"ले लो साहब दिन महक जायेगा।" मुरझाये चेहरे से
मुस्कुराते हुए कहा।
"अच्छा दे दो।"
उसके चेहरे पर फूल सी मुस्कुराहट आ गई।
"पढ़ते नही ?"
"टाइम ही नही मिलता।" हँसकर कहा।
"पापा क्या करते है ?"
"नही है।"
"और माँ"
"घरो में झाड़ू-पोछा करती है।"
"पढ़ने को दिल नही करता ?"
"करता है साहब पर दिल की सुने या पेट की।"
उसने हँसते हुए कहा।
"तुम हर बात पर हँसते क्यों हो ?"
"क्योंकि इसमें पैसे नही लगते।" मुस्कुराकर कहा।
आज समझ आया कि मेरे चेहरे पर ऐसी फ़ूल सी ताज़ी निच्छल मुस्कान क्यों नही आती ।