Sunday, October 24, 2021

भेड़िये

उनके लिए तुम्हारी उम्र कोई मायने नही रखती तुम बूढ़ी हो जवान हो या फिर नादान बच्ची।

उम्र उनकी भी मायने नही रखती वो साठ के हो या सत्रह के।

कुछ मायने रखता है तो सिर्फ एक मौका, जो वो अक्सर ढूंढ ही लेते है, 

तुम भीड़ में हो, घर में हो या सड़क पर यह मायने नही रखता।
कुछ मायने रखता है तो सिर्फ तुम्हारा वहाँ होना जिसे वो ताड़ लेते है।

तुम चीखों, तडपो, गिड़गिड़ाओं या मदद मदद चिल्लाओ कोई मायने नही रखता।
कुछ मायने रखता है तो सिर्फ मुर्दा लाशों का वहाँ से गुजरना, जिसे वो जान लेते है।

कंक्रीट के इन जंगलों में वो भेड़िये आ बसे है, जो खुले आम घूमते है इंसानों की परवाह किये बिना, पर उनका इंसानों के बीच होना मायने नही रखता, मायने रखता है सिर्फ भेड़ियो के बीच इंसान का इंसान होना।

यह भीड़ जिनके हाथों में रोशनी की मसाले है, यह अख़बार जिनके पन्नो पर तुम्हारे दर्द की दस्ताने छपी है। यह लोग जो तुम्हें इंसाफ दिलाने के लिए लिख और बोल रहे है सब बे मायने, मायने रखता है तो सिर्फ इंसाफ, जो मुश्किल है।