Wednesday, August 31, 2016

है कौन वो ?

है कौन वो ........ दिल जलाएं फिरता है जिसकी याद में, ये जुगनू रात भर,
जिसकी तड़प में तितलियाँ मचलती रहती है इधर से उधर।

है कौन वो जो कर देता है खुद से ही बेगाना,
है कौन वो जो देता है इस तरह के ख्यालों को पर।

कौन है जो लगाता है नीदों पे पेहरा मेरी,
है कौन वो जिसकी यादें कर देती है पलको को आँसूओ से तर।

कभी मैं आसमां में उड़ता फिरूँ, कभी जमी से लिपट कर तड़पा करूँ, 
है कौन वो जो मुझमें समाया रहता है इस कदर।

हवा उसकी ही खुश्बू लाती है, धड़कने उसके ही गीत गाती है,
है कौन वो जो हर शय में मुझको अब आता है नज़र।

ये घर के लोग,ये शहर,ये आइने में मेरा वज़ूद सब अज़नबी से लगते है आजकल,
है कौन वो जिसने कर दिया खुद से ही मुझको बे ख़बर।

रास्तो से पूछा, हवा से पूछा, उड़ते परिंदों, बहते पानी से भी मैं पूछता फिरूँ,
है कौन वो जिसका पता कहीं भी मिलता ही नही मगर।

रात चाँद भी सुनकर मेरी पुकार छुप गया बदलो में, ऐ खुदा तू ही आसरा दे अब,
है कौन वो जिसकी ख़ातिर हर दर पे जाके पटकता हूँ मैं सर।

अब तो रास्ते भी चिढ़ने लगे है मुझसे, मंज़िले भी कहती है भटक गया है तू,
है कौन वो जिसकी ख़ातिर बन गया मैं "मुसाफ़िर" छूट गया है घर।

है कौन वो, है कौन  वो.........