Saturday, September 1, 2018

खुशी और दुःख

खुशी क्या है?
दुःख की दवा
या गम की आँधी में कहीं से आया
रंगीन दुपट्टा जो किसी की उतरन है।
या वो किलकारी जो नौ महीने बाद माँ के
कानों में पड़ती है और क्षण भर में 'लड़की है' जैसे शब्दों में फिर से दफ़न हो जाती है।
या वो प्रेम जो अपनी सीमाओं को लांघ कर अस्पताल के पीछे नाले में बह जाता है।
या वो सम्मान जो ताबूतों में बंद कर दिया जाता है जात-पात के ताले लगाकर।
खुशी क्या है?
दुल्हन के जोड़े में सजी बेटी की झोली में भरे अरमान
या दहेज़ की सूली पर झूलती लक्ष्मी।
और दुःख क्या है?
माँ की प्रसव पीड़ा या वृद्धाश्रम में साँसों की डोर से
अटकी झूठी आस।
बस दुःख तो इतना भर ही है इस संसार मे
पर खुशी के ओर भी कई रंग है।
#मुसाफ़िर @Mohdkausen

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