आपको निचे लिखी जानकरी बहुत मुमकिन है की
बहुत अजीब और फालतू लगे और कुछ को समझ भी ना आये की यह क्या और क्यों लिखा
है। ऐसा इसलिए नहीं है कि मैंने जो जो लिखा है वो कठिन और गैर जरूरी है
बल्कि इस लिए की यह सब आपके या मेरे साथ नहीं हो रहा है। वैसे भी सोशल
मीडिया और व्हाट्सअप यूनिवर्सिटी ने हमें फेक जानकारियों और मज़ेदार
चुटकुलों से लबा लब भर दिया है। हमारे पास खुद के लिए ही वक़्त नहीं है तो
देश और पड़ोस की तो क्या खबर रखेंगे।
क्यूंकि हम सब एक सांचे में फिट हो गए है, हमें पढ़ने से ज्यादा देखना पसंद है , सोचने से ज्यादा मुस्कुराना पसंद है। खैर सोशल मीडिया पर अपनी फ्री की 1.5 GB में से #aveKashmir लिखकर अपना
फ़र्ज़ पूरा करने वाली पीढ़ी खुशनसीब है जिन्हे टिकटोक और पब जी के ज़माने में
जवानी जीने का मौका मिल रहा है इसके लिए हम सभी को बधाई।
क्या आप पता है की ......
१-अर्जेंटीना और भारत की अर्थव्यवस्था की तुलना क्यों की जा रही है?
२- मदन मल्लिक कौन है?
३- मौहम्मद अलीम सैय्यद कौन है ?
४ - अगर आप उपरोक्त सवालों के जवाब नहीं जानतें तो मुबारक हो आप सच्चे देशभक्त भारतीय हो।
पिछले दिनों हम सबने सुना है कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने एक लाख 76 हज़ार करोड़ भारत सरकार को देने का फैसला किया है जिसपर हम सबने नोटबंदी की तरह ही बड़े मज़ेदार जोक्स भी शेयर किये है। ख़ैर तो मैं ऊपर पूछे गए सवालो की बात करता हूँ।
१ - दरअसल, अर्जेंटीना की सरकार ने अपने सेंट्रल बैंक को फंड देने के लिए मजबूर किया था.
ये
साल 2010 की बात है. अर्जेंटीना की सरकार ने सेंट्रल बैंक के तत्कालीन
चीफ़ को बाहर कर बैंक के रिज़र्व फंड का इस्तेमाल अपना क़र्ज़ चुकाने के
लिए किया था.
अब भारत सरकार के रिज़र्व बैंक से फ़ंड लेने की तुलना अर्जेंटीना के अपने सेंट्रल बैंक से फंड लेने से की जा रही है.
अर्जेंटीना लातिन अमरीका की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. लेकिन आज अर्जेंटीना की अर्थव्यवस्था बेहद ख़राब दौर में है। विश्लेषक मानते हैं कि अर्जेंटीना की अर्थव्यवस्था के पटरी से उतरने की
शुरुआत तब ही हो गई थी जब सेंट्रल बैंक से ज़बर्दस्ती पैसा लिया गया था। भारत और अर्जेंटीना के घटनाक्रम में फ़र्क ये है कि अर्जेंटीना की सरकार ने
आदेश पारित कर सेंट्रल बैंक से पैसा लिया जबकि भारतीय रिज़र्व बैंक ने
विमल जालान समिति की सिफ़ारिश पर सरकार को पैसा दिया। अब अर्जेंटीना लगातार जटिल हो रहे आर्थिक संकट में फंस गया है जिससे बाहर
निकलने का रास्ता नज़र नहीं आ रहा है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने देश के
दीवालिया होने का अंदेशा ज़ाहिर कर दिया है।
भारतीय रुपया डॉलर के मुक़ाबले लगातार टूट रहा है. बेरोज़गारी दर बीते 45
सालों में सर्वोच्च स्तर पर है. जीडीपी की दर सात सालों में सबसे कम होकर
सिर्फ़ पांच प्रतिशत रह गई है. अर्थव्यवस्था में सुस्ती के संकेत स्पष्ट
नज़र आ रहे हैं। सरकार के सहयोगी ही इन दावों पर सवाल उठा रहे हैं.
हाल ही में किए एक ट्वीट में भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने
कहा है, "अगर को नई आर्थिक नीति नहीं आ रही है तो 5 ट्रिलियन को गुडबॉय
कहने के लिए तैयार रहें. सिर्फ़ बहादुरी या सिर्फ़ ज्ञान अर्थव्यवस्था को
बर्बाद होने से नहीं रोक सकते. अर्थव्यवस्था को दोनों की ज़रूरत होती है.
आज हमारे पास दोनों में से कोई नहीं है." (साभार बीबीसी )
२- ३१ अगस्त को भारत सरकार ने नेशनल सिटिज़न रजिस्टर यानी एनआरसी की आख़िरी लिस्ट जारी की है। इस लिस्ट में 19,06,657 का नाम शामिल नहीं हैं। इनमे से एक नाम है मदन मल्लिक जो विदेशियों को खदेड़ने वाले असम आंदोलन में शहीद हो गए थे और असम की सरकार ने २०१६ में उनके परिवार को ५ लाख रुपये और मान पत्र देकर सम्मानित किया था। अब उनकी पत्नी ६६ वर्षीय सर्बमाला और उनके बेटो को फ़ॉरेन ट्रायब्यूनल ने नोटिस जारी किया है की वो उनके समक्ष आकर अपनी भारतीय नागरिकता साबित करे।
सोचो अगर जो इंसान अपने देश के लिए विदेशी घुसपेटियों को खदेडते हुए शहीद हुवा हो और इसके लिए सरकार ने उसे सम्मानित भी किया हो और एक दिन उसे ही यह साबित करने के लिए कहाँ जाये की वो सिद्ध करे की वो घुसपैठिया नहीं है तो बाकि १९ लाख आम लोग जी इस लिस्ट (नर्स) से बहार हुए है उनके लिए क्या स्थिति होगी। परन्तु आपको और हमें कोई चिंता नहीं करनी चाहिए क्यूंकि यह हमारे साथ नहीं हो रहा है।
3 - अच्छा कैसा लगे की बिना की जुर्म के आपको अचानक घरो में बंद केर दिया जाये। किसी से फ़ोन पर बात नहीं कर सकते और मुफ्त में मिली जियो की १. ५ gb भी इस्तेमाल नहीं केर सकते। और मज़े की बात यह है की सारी दुनिया में आपके बारे में चर्चा कर रही हो और आपको ही नहीं पता हो की दुनिया आपके बारे में क्या बात कर रही है। तो जानबेआला समझ लीजिये की आप कश्मीर में है।
२४ साल के मोहम्मद अलीम सय्यद कश्मीर के अनंतनाग से है इन्होने जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से लॉ की पढाई की है और इन्हे अपने घर कश्मीर सुरक्षित जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की मदद लेनी पड़ी है। मीडिया और सरकार कह रही है की कश्मीर में हालत सही है चलो मान लिया पर सोचो २७ दिनों से लोग अपने ही घरो में बंद है किसी अपनों से फ़ोन पर बात नहीं कर सकते है। देश दुनिया में क्या कुछ चल रहा इसकी कोई खबर उन्हें नहीं है।
सरकार उनकी लिए आये दिन बेहतरी के लिए नई-नई योजनाओ की घोषणा कर रही है। पर मज़ेदार बात यह है की जिनके लिए यह घोषणाये हो रही है उन्हें छोड़ कर सब को पता है की सरकार उनके लिए कितना अच्छा सोचती है और उनके भविष्य की कितनी चिंता कर रही।
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